भजन
श्री विद्यासागर जी गुरुवर हमारे ,
संसार सिंधु के तुम हो किनारे
तू ज्ञानसागर की पहली लहर है
जाना कहाँ पे , ये तुझको खबर है
हमको भी ले चल मुक्ति की मंजिल
जीवन की नैया है , तेरे सहारे
तुम हो अहिंसा धर्म के मसीहा
तुम स्वाति की बूँद , मैं हूँ पपीहा
हमको ज़िला दो , हमको पिला दो
आध्यात्म अमृत वचन ये तुम्हारे
सम्यक्त्व समता के आलय तुम्ही हो
माँ भारती के , हिमालय तुम्ही हो
पथ तुमसे पावन , उपकारी जीवन
हम अश्रु जल से चरणा पखारें
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